उत्तराखण्ड के जंगल में लगातार लगती आग अब चिंता का विषय है, बुधवार (1 may 2024) को 24 घंटे के भीतर प्रदेश में आग की 40 नई घटनाएं सामने आयी है। जिनमें कुल 46 हेक्टेयर वन क्षेत्र को क्षति पहुंची है। वन विभाग की ओर से जंगल में आग लगाने वालों की गिरफ्तारी और मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई भी जारी है।
अब तक जंगल में आग लगाने पर वन अपराध के तहत कुल 315 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं और 52 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, फायर सीजन में अब तक कुल 886 बार उताराखंड के जंगलों में लगी आग और 1,107 हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हो चुका है।
जबकि उत्तराखंड में जंगलों के झुलसने का सिलसिला जारी है। वन विभाग सेना के सहयोग से लगातार आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है।भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने स्थिति की गंभीरता को रेखांकित करते हुए उत्तराखंड में कई आग अलर्ट जारी किए हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व वैज्ञानिक पीएस नेगी ने ब्लैक कार्बन सांद्रता में वृद्धि के कारण ग्लेशियरों पर तनाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “गर्मियों में जंगल की आग के कारण वातावरण में ब्लैक कार्बन की सांद्रता बढ़ जाती है, जिसका असर ग्लेशियरों के पिघलने और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है।”
विश्व बैंक के एक अध्ययन ने ग्लेशियर पिघलने की गति को तेज करने में ब्लैक कार्बन की भूमिका को रेखांकित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, “वैश्विक जलवायु परिवर्तन के खतरों के अलावा, क्षेत्र के भीतर उत्पादित और प्रसारित ब्लैक कार्बन की मात्रा न केवल ग्लेशियर की सतह के परावर्तन को कम करती है, जिससे सौर विकिरण का अवशोषण बढ़ता है, बल्कि हवा का तापमान भी बढ़ता है। जो ग्लेशियर पिघलता है।”