लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले सरकार ने किसानों के लिए वर्ष 2024-25 सीज़न के लिए कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने को अपनी मंजूरी दे दी है। इसमें 285 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। सरकार ने दावा किया है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान कच्चे जूट की एमएसपी में 122 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है ।
किसान आंदोलन के बीच जूट उगाने वाले किसानों के लिए यह एक अच्छी खबर है। कच्चे जूट (टीडीएन-3, पहले के टीडी-5 श्रेणी के बराबर) का एमएसपी 2024-25 सीजन के लिए 5,335 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इससे उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 64.8 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित होगा।
वर्तमान सीजन 2023-24 में, सरकार ने 524.32 करोड़ रुपये की लागत से 6.24 लाख गांठ से अधिक कच्चे जूट की रिकॉर्ड मात्रा में खरीद की है, जिससे लगभग 1.65 लाख किसानों को लाभ हुआ है। भारतीय जूट निगम (जेसीआई) मूल्य समर्थन संबंधी कार्यों का संचालन करने हेतु केन्द्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में जारी रहेगी और ऐसे कार्यों में होने वाले नुकसान, यदि कोई हो, की प्रतिपूर्ति पूरी तरह से केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी।
भारत में जूट की खेती मुख्यतः देश के पूर्वी क्षेत्र तक ही सीमित है। जूट की फसल सात राज्यों – पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और मेघालय के लगभग 83 जिलों में उगाई जाती है। अकेले पश्चिम बंगाल में 50 प्रतिशत से अधिक कच्चे जूट का उत्पादन होता है।
कच्चे जूट के विभिन्न ग्रेड क्या हैं?
कच्चे जूट को जूट की गुणवत्ता और उसके अनुप्रयोग के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। अच्छी गुणवत्ता वाले सफेद कच्चे जूट को W1, W2, W3, — से W8 तक वर्गीकृत किया गया है। टोसा कच्चे जूट को TD1, TD2, — से TD8 तक वर्गीकृत किया गया है।
मेस्टा कच्चे जूट को मेस्टा टॉप, मेस्टा मिड, मेस्टा बॉटम आदि के रूप में ग्रेड किया जाता है। जूट मिलें और जूट दलाल भी जूट उगाने वाले क्षेत्रों के अनुसार कच्चे जूट को ग्रेड करते हैं, जैसे असम1, असम2 से असम8, बिमली1 से बिमली8, जंगली1 से जंगली8 आदि। निम्नतम ग्रेड को कटिंग कहा जाता है।