गुड़गांव पुलिस ने एक सेवानिवृत्त IAF अधिकारी द्वारा साइबर धोखाधड़ी में खोए 1.3 करोड़ रुपये बरामद किए। यस बैंक के अधिकारियों समेत सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया ।
भारत साइबर अपराध के मामले में 10वें स्थान पर है। साइबर अपराध के मामलों में अग्रिम शुल्क भुगतान करने के लिए धोखाधड़ी करना सबसे आम बात है। दुनियाभर के साइबर अपराध विशेषज्ञों का सर्वेक्षण करने वाले एक नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।
जबकि हाल में जो मामला सामने आया उसमे बैंक अधिकारियों के मिले होने से लोगो में बैंकों के प्रति विश्वास डगमगाया गया है। गुड़गाँव में दिनांक 03. फरवरी 2024 को एक व्यक्ति ने थाना साईबर अपराध में लिखित शिकायत दर्ज करवाया था।
शिकायतकर्ता ने कहा व्हाट्सएप के माध्यम से स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट कराने के नाम इससे करीब 01 करोड़ 32 लाख रुपयों की ठगी की गयी। शिकायत पर थाना साईबर अपराध पूर्व, गुरुग्राम में संबंधित धाराओं के तहत अभियोग अंकित कर थाना साइबर क्राइम सेक्टर-43, गुरूग्राम में अंकित किया गया था।
एसीपी प्रियांशु दीवान सहायक साईबर के निर्देशानुसार निरीक्षक सवित कुमार, प्रबंधक थाना साईबर अपराध पूर्व के नेतृत्व में एचसी संदीप क़ुमार ने पुलिस टीम के साथ मिलकर कार्यवाही करते हुए उपरोक्त अभियोग में 2 यश बैंक कर्मचारियों सहित 7 आरोपियों को काबू करने में बड़ी सफलता हासिल की थी।
आरोपियों की पहचान इस प्रकार है
- पिंकी, विकास निवासी सुल्तानपुरी दिल्ली
- प्रकाश निवासी बवाना दिल्ली
- धर्मेंद्र व दीपक निवासी रोहिणी दिल्ली
- सूरज निवासी फ़रीदाबाद
- पूजा निवासी जैन नगर दिल्ली
उपरोक्त मामले में प्रभावी कार्यवाही करने को लेकर पुलिस की सराहना की, तथा साईबर ठगों के मुँह से पुलिस ने 01 करोड़ 32 लाख रुपयों की राशि को इन्हें वापस दिलाने के लिए पुलिस का धन्यवाद किया है। पुलिस टीम द्वारा भी शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए सम्मान को सहजता से स्वीकार किया व भविष्य में सतर्क व सावधान रहने के लिए हिदायत भी दी।
शुरुआती जांच में पुलिस को रोहिणी में इंडसइंड बैंक के एक खाते का पता चला जो दिल्ली के बवाना में रहने वाले एक मजदूर प्रकाश के नाम से चल रहा है। इस खाते को फ्रीज कर दिया गया और इसमें ट्रांसफर किए गए 10 लाख रुपये वापस ले लिए गए।
प्रकाश को 9 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और उसने पुलिस को बताया कि उसने यस बैंक के दो कर्मचारियों – धर्मेंद्र और दीपक से 25,000 रुपये लिए थे, जिन्होंने उसे अपने खाते का विवरण देने के लिए मना लिया था। बाद में दोनों को 12 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया।
एसीपी (साइबर क्राइम) प्रियांशु दीवान ने बुधवार को कहा, “धोखेबाजों को बैंक खातों तक पहुंच देने के लिए दोनों बैंकरों ने 1.6 लाख रुपये प्राप्त किए थे और उन्होंने प्रकाश के साथ एक छोटी राशि साझा की थी।” इसी तरह, साइबर ठगों द्वारा अन्य बैंक खातों में लेनदेन के कारण पुलिस को पिंकी, उसके पति विकास और उनकी दोस्त पूजा को गिरफ्तार करना पड़ा।
“पिंकी के बैंक खाते से 42 लाख रुपये बरामद हुए थे। दिल्ली के सुल्तानपुरी की एक गृहिणी पिंकी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने अपने रिक्शा चालक पति विकास और जैन नगर में रहने वाली विधवा पूजा की संलिप्तता कबूल कर ली।”
वे तीनों यस बैंक के दीपक के संपर्क में थे, जिसने अंततः जांचकर्ताओं को सूरज को पकड़ने के लिए प्रेरित किया। शेष 80 लाख रुपये आईडीएफसी बैंक की आनंद विहार शाखा, एमपी और नासिक (महाराष्ट्र) में इंडसइंड बैंक खातों और गुजरात के सूरत में एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक खाते से बरामद किए गए।
पुलिस अन्य बैंक खाताधारकों की भूमिका की जांच कर रही है। डीसीपी (साइबर क्राइम) सिद्धांत जैन ने कहा, “हमारी टीम सफलतापूर्वक बैंकों के साथ समन्वय स्थापित करने में कामयाब रही और खोई हुई पूरी रकम अदालत के माध्यम से शिकायतकर्ता को वापस कर दी गई।”