वकील प्रशांत भूषण ने गुरुवार (5 मार्च) को चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) पर विवरण का खुलासा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कथित तौर पर अनुपालन न करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के खिलाफ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर अवमानना याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की।
उधर कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि भाजपा लोगों के सामने अपने कॉर्पोरेट देनदारों का खुलासा करने से डर रही है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा –
“नए भारत में लुका-छिपी। देश जानना चाहती है, मोदी छिपा रहे हैं।” उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “एसबीआई द्वारा बनाई गई प्रधानमंत्री चंदा छिपाओ योजना झूठ पर बनी है।”
जयराम रमेश ने बताया कि एसबीआई ने यह बहाना दिया कि उन्हें 2019 के बाद से जारी किए गए 22,217 चुनावी बांड के खरीदारों का लाभार्थी दलों से मिलान करने में कई महीने लगेंगे। उन्होंने आगे कहा कि हमें मालूम है कि प्रत्येक चुनावी बॉन्ड को दो शर्तों के साथ बेचा जाता है। 1. विस्तृत केवाईसी, जिससे कि एसबीआई खरीदार को जान सकें। और दूसरा बॉन्ड का हिडेन सीरियल नंबर।
भूषण ने तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष अवमानना याचिका का उल्लेख किया। भूषण ने कहा कि SBI ने जानकारी देने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया, जिसे सोमवार को सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।
उन्होंने अनुरोध किया कि अवमानना याचिका को भी SBI के आवेदन के साथ सूचीबद्ध किया जाए। सीजेआई ने भूषण को आवेदन संख्या के विवरण के साथ एक ईमेल अनुरोध भेजने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट में दायर अवमानना याचिका में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) पर जानबूझकर अवज्ञा करने का आरोप लगाया गया और अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई।
ADR का तर्क है कि Electoral Bonds जारी करने वाला बैंक SBI, न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को बांड के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देने में विफल रहा है। 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दायर याचिका Electoral Bonds से संबंधित जानकारी का खुलासा करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालती है।