कभी पत्रकारिता एक सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का पेशा हुआ करता था परंतु वर्तमान में जिस तरह की पत्रकारिता नजर आ रही इससे पत्रकारों के अंदर छुपी उनकी भावना साफ़ झलकने लगी है।
कभी किसी समुदाय के प्रति नफरत, उन्हें आतंकी, नक्सली बता देना तो किसी व्यक्ति के चरित्र की नीलामी खुलेआम कैमरों के सामने की जाती करना तो किसी जाति या समुदाय के प्रति इन एंकरों के अंदर तिरस्कार और घृणा की भावना अब उनके शब्दों से बयाँ होने लगी है।
ऐसा ही एक वीडियो तेज़ी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें एक पत्रकार पत्रकारिता की सभी मर्यादाओं को दरकिनार करते हुए शब्दों का जिस तरह से चयन किया है । उससे पत्रकार के अंदर एक जाति समुदाय के प्रति छिपी घृणा साफ़ झलकने लगी है। वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर इस पत्रकार के प्रति कार्यवाही और गिरिफ़्तारी की माँग तेज हो गई है।
दरअसल हिन्दी की एक कहावत है। जिसे “चोरी चकारी” कहा जाता है लेकिन टीवी जर्नलिस्ट सुशांत सिन्हा द्वारा इसे “चोरी @# शब्द का प्रयोग किया है। जिस शब्द का प्रयोग सदियों से एक जाति विशेष को उच्च जातियों द्वारा अपमानित करने के लिए किया जाता रहा है!
वहीं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने भी एक पोस्ट को शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा कि ऐसे पत्रकार और समाचार एंकरों को जेल में तत्काल डाल देना चाहिए और इन्हें भाषा की ट्रेनिंग देनी चाहिए।
वैसे तो पत्रकारिता जनहित में जानकारी एकत्र करने, उसका विश्लेषण करने और उसका प्रसार करने की एक प्रक्रिया है। लेकिन इस पेशे में सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाहन करना अतिमहत्वपूर्ण है। इस पेशे में अगर आप सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर पाते हैं तो यह वैसा ही है जैसे ‘भैंस के आगे बीन बजाना’
वर्तमान समय में भारत की पत्रकारिता का स्तर दिन प्रतिदिन नीचे गिरता जा रहा है।वैश्विक मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के मुताबिक भारत की रैंकिंग और गिरी है । पिछले साल जहां भारत इस सूचकांक में 150वें स्थान पर था वहीं वह 2023 में 11 पायदान लुढ़कर 161वें स्थान पर जा पहुंचा है।
भारत में जाति-आधारित अपराधों में शारीरिक हमला, हत्या, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, यातना, आगजनी, सामाजिक बहिष्कार, आर्थिक शोषण, भूमि पर कब्जा, जबरन विस्थापन और अपमान एवं हिंसा आदि शामिल हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा प्रकाशित भारत में अपराध की वार्षिक रिपोर्ट (Annual Crime in India Report) 2019 के अनुसार, वर्ष 2019 में SCs और STs के विरुद्ध अपराधों में क्रमशः 7% और 26% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। उदाहरण के लिये, मध्य प्रदेश में वर्ष 2021 में अनुसूचित जाति के विरुद्ध अपराध दर (Crime Rate) सबसे अधिक थी।
सदियों से सामाजिक बुराई के रूप में व्याप्त जाति व्यवस्था कथित उच्च जातियों में श्रेष्ठता की भावना और निचली जातियों में हीनता की भावना को बढ़ावा देती है, जिससे निचली जातियों के विरुद्ध भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
ऐसे में किसी पत्रकार द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग किसी एक जाति के प्रति हीन भावना को बढ़ावा देता है। साथ ही यह पत्रकार की जातिवादी कथित घटिया मानसिकता गंदी सोच को भी प्रदर्शित करता है। एक टीवी जर्नलिस्ट द्वारा ऐसी आपत्तिजनक भाषा और जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल के लिए लोगों ने कार्यवाही की मांग की है।